दहेज के झूठे मुकदमे - कारण एवं उपाय 1. बेमेल विवाह 1.1 बेमेल विवाह के कारण विवाह सम्बन्ध टूट जाते हैं। सगाई के समय लड़का लड़की के व्यवहार, आदत्तो, उसकी संगत किसके साथ, उनके शैक्षणिक योग्यता का मिलान,उनका आर्थिक स्तर मिलान इत्यादि कई मानदंड हो सकते हैं। 1.2 लड़का लड़की के माता पिता, भाई बहन के बारे मे भी ऐसे ही मानदंडों पर परखा जा सकता है। 1.3 सगाई विवाह वहीं करना चाहिए जहां लड़का लड़की तथा दोनों परिवारों सही मेल हो। 2. दहेज प्रथा 2.1 दहेज का लेना देना विवाद का बड़ा कारण हैं। ना तो लडकी वाले दहेज देवे ना ही लड़के वाले दहेज लेवे। 2.2 शादी में होने वाली वीडियो/फोटो से पता लग सकता हैं। 2.3 शादी के समय दहेज नहीं देने तथा नहीं लेने का एफिडेविट परस्पर लिया जा सकता हैं। 2.4 समाज के लोग भी इस हेतु प्रेरित करे। 2.5 सामूहिक विवाह भी दहेज प्रथा को रोकने में सहायक है। 3. संस्कार 3.1 संस्कार तो सबसे महत्वपूर्ण है जिसे एक वाक्य या पैराग्राफ या पृष्ठों में व्यक्त करना बहुत ही कठिन है । लड़का लड़की,माता पिता, परिवार के संस्कार देखे जा सकते हैं। 3.2 हम संस्कारी होगे तो हमारे बच्चे भी उनका अनुसरण करेंगे। 3.3 कई बार हम लड़कियों को घर/परिवार कार्यों से दूर रखते हैं जिसे हम गर्व से कहते हैं कि मैने अपनी बेटी को नाजों से पाला है। पलको पे बिठाए रखा है, बाद इन्ही पलको से आंसू बहते हैं । 3.4 हमे लड़का लड़की को परिवार चलाने की जानकारी देनी होगी तथा उनसे कार्य कराना होगा। 4 खान पान 4.1 खान पान मेल होना जरूरी है सगाई के बाद दोनों परिवार एक दूसरे के घर कई बार दावत पर जाकर या पड़ोस, रिश्तेदारों से जानकारी ले सकते हैं। 4.2 शराब का सेवन समाज की सबसे बड़ी बुराई है यहीं बिगड़ते संबंधों का कारण हैं इससे दूर रहना जरूरी है 5 लड़की के ससुराल में हस्तक्षेप 5.1 माता पिता द्वारा लड़की के ससुराल में हस्तक्षेप करना सम्बन्ध विच्छेद होने का बड़ा कारण है 5.2 इसमें भी लडकी की मां का बड़ा रोल हैं शायद वह सोचती है कि वह बेटी का घर सुधार रही हैं परन्तु जब तक उसे समझ आता है तब तक बेटी का घर बिगड़ चुका होता है। 5.3 बेटी के ससुराल में जाते रहना चाहिए परन्तु एसे कर्म करे कि संबंधो का मिठास बना रहे। 6. बिगड़ते संबंध 6.1 बिगड़ते संबंधों के कारण ही दहेज के झूठे मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं। 6.2 बिगड़ते संबंधो का पहले लडका लडकी स्तर पर,दोनो परिवारों के स्तर पर,समाज की पंचायत के स्तर पर निराकरण किया जाना चाहिए। पुलिस के पास जाने पर अनावश्यक खर्चा करना पड़ता है अन्त में समाधान भी समझोते से ही होता। अगर लगता है कि आगे सम्बन्ध विच्छेद होना ही है तो प्रेम से अलग होना ही उचित है। ईमानदारी से जो जिसका है परस्पर लौटा देना चाहिए। 6.3 समझोता कराने वाले पंच भी निष्पक्ष हो, समाज में बहुत एसे लोग हैं जो यह कार्य ईमानदारी से करने में सक्षम है 6.4 कई बार ऐसा सोचा जाता है कि दहेज़ का मुकदमा दर्ज कराने पर बड़ी राशि प्राप्त हो सकती हैं यह उनका भ्रम है जो लालच का प्रतीक है और ना ही वो पैसा बेटी का भविष्य बना सकता है। 6.5 अगर पंचायत स्तर पर स्पष्ट हो जाता है कि दहेज़ का झूठा आरोप है तो उनका सामाजिक बहिष्कार किया जा सकता है। 6.6 कई बार ऐसा भी होता है कि शादी के बाद भी ससुराल वालों द्वारा लड़की के माता पिता से दहेज की मांग की जाती है। ना देने पर लड़की को प्रताड़ित किया जाता है घर से निकाल दिया जाता है अगर पंचायत स्तर पर यह साबित होता है तो इनका भी सामाजिक बहिष्कार किया जा सकता हैं। 6.7 दहेज के अधिकांश मुकदमे थाने में तब दर्ज होते हैं जब लड़के या लड़की की तरफ से कोई एक तरफा गलती की जाती है हालांकि इसे समाज के तौर पर भी रोक दिया जा सकता है लेकिन इस क्षेत्र के एडवोकेट तथा पुलिस सकारात्मक सोच के साथ दहेज के झूठे मुकदमों को रोकने मे अहम भूमिका निभा सकते है । हमारे समाज में थाली कटोरी गिलास लौटे बाल्टी को भी दहेज मान लिया जाता है। वकील साहिबान समझाइश से मामले को आगे बढ़ने से रोक सकते है। 6.8 जब बेटे बेटी विवाह के लायक हो जाए तो माँ को बेटी की बेस्ट फ्रेंड बनना चाहिए और पिताजी को बेटे का उनके दिल की सारी बात जाननी चाहिए कि हमारी बेटी या बेटा क्या चाहती/चाहता है उनके दिल में क्या चल रहा है...! ताकि हम उन पर कोई निर्णय थोपने से बच सके ..! ऐसा देखने भी आया हे की बेटे या बिटिया के दिलों दिमाग मे कुछ और है पर वो माता- पिता को कहने से डरती हे और परिवार के मान सम्मान के लिए विवाह तो कर लेती हे जो कुछ ही महिनों या वर्ष मे मतभेद शुरू हो जाते हे और बात संबंध विच्छेद के लिए झूठे मुकदमे का सहारा ले लेते हैं. 6.9 इसमें मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से परामर्श भी लिया जा सकता है।
1.1 बेमेल विवाह के कारण विवाह सम्बन्ध टूट जाते हैं। सगाई के समय लड़का लड़की के व्यवहार, आदत्तो, उसकी संगत किसके साथ, उनके शैक्षणिक योग्यता का मिलान,उनका आर्थिक स्तर मिलान इत्यादि कई मानदंड हो सकते हैं। 1.2 लड़का लड़की के माता पिता, भाई बहन के बारे मे भी ऐसे ही मानदंडों पर परखा जा सकता है। 1.3 सगाई विवाह वहीं करना चाहिए जहां लड़का लड़की तथा दोनों परिवारों सही मेल हो।
2.1 दहेज का लेना देना विवाद का बड़ा कारण हैं। ना तो लडकी वाले दहेज देवे ना ही लड़के वाले दहेज लेवे। 2.2 शादी में होने वाली वीडियो/फोटो से पता लग सकता हैं। 2.3 शादी के समय दहेज नहीं देने तथा नहीं लेने का एफिडेविट परस्पर लिया जा सकता हैं। 2.4 समाज के लोग भी इस हेतु प्रेरित करे। 2.5 सामूहिक विवाह भी दहेज प्रथा को रोकने में सहायक है।
3.1 संस्कार तो सबसे महत्वपूर्ण है जिसे एक वाक्य या पैराग्राफ या पृष्ठों में व्यक्त करना बहुत ही कठिन है । लड़का लड़की,माता पिता, परिवार के संस्कार देखे जा सकते हैं। 3.2 हम संस्कारी होगे तो हमारे बच्चे भी उनका अनुसरण करेंगे। 3.3 कई बार हम लड़कियों को घर/परिवार कार्यों से दूर रखते हैं जिसे हम गर्व से कहते हैं कि मैने अपनी बेटी को नाजों से पाला है। पलको पे बिठाए रखा है, बाद इन्ही पलको से आंसू बहते हैं । 3.4 हमे लड़का लड़की को परिवार चलाने की जानकारी देनी होगी तथा उनसे कार्य कराना होगा।
4.1 खान पान मेल होना जरूरी है सगाई के बाद दोनों परिवार एक दूसरे के घर कई बार दावत पर जाकर या पड़ोस, रिश्तेदारों से जानकारी ले सकते हैं। 4.2 शराब का सेवन समाज की सबसे बड़ी बुराई है यहीं बिगड़ते संबंधों का कारण हैं इससे दूर रहना जरूरी है
5.1 माता पिता द्वारा लड़की के ससुराल में हस्तक्षेप करना सम्बन्ध विच्छेद होने का बड़ा कारण है 5.2 इसमें भी लडकी की मां का बड़ा रोल हैं शायद वह सोचती है कि वह बेटी का घर सुधार रही हैं परन्तु जब तक उसे समझ आता है तब तक बेटी का घर बिगड़ चुका होता है। 5.3 बेटी के ससुराल में जाते रहना चाहिए परन्तु एसे कर्म करे कि संबंधो का मिठास बना रहे।
6.1 बिगड़ते संबंधों के कारण ही दहेज के झूठे मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं। 6.2 बिगड़ते संबंधो का पहले लडका लडकी स्तर पर,दोनो परिवारों के स्तर पर,समाज की पंचायत के स्तर पर निराकरण किया जाना चाहिए। पुलिस के पास जाने पर अनावश्यक खर्चा करना पड़ता है अन्त में समाधान भी समझोते से ही होता। अगर लगता है कि आगे सम्बन्ध विच्छेद होना ही है तो प्रेम से अलग होना ही उचित है। ईमानदारी से जो जिसका है परस्पर लौटा देना चाहिए। 6.3 समझोता कराने वाले पंच भी निष्पक्ष हो, समाज में बहुत एसे लोग हैं जो यह कार्य ईमानदारी से करने में सक्षम है 6.4 कई बार ऐसा सोचा जाता है कि दहेज़ का मुकदमा दर्ज कराने पर बड़ी राशि प्राप्त हो सकती हैं यह उनका भ्रम है जो लालच का प्रतीक है और ना ही वो पैसा बेटी का भविष्य बना सकता है। 6.5 अगर पंचायत स्तर पर स्पष्ट हो जाता है कि दहेज़ का झूठा आरोप है तो उनका सामाजिक बहिष्कार किया जा सकता है। 6.6 कई बार ऐसा भी होता है कि शादी के बाद भी ससुराल वालों द्वारा लड़की के माता पिता से दहेज की मांग की जाती है। ना देने पर लड़की को प्रताड़ित किया जाता है घर से निकाल दिया जाता है अगर पंचायत स्तर पर यह साबित होता है तो इनका भी सामाजिक बहिष्कार किया जा सकता हैं। 6.7 दहेज के अधिकांश मुकदमे थाने में तब दर्ज होते हैं जब लड़के या लड़की की तरफ से कोई एक तरफा गलती की जाती है हालांकि इसे समाज के तौर पर भी रोक दिया जा सकता है लेकिन इस क्षेत्र के एडवोकेट तथा पुलिस सकारात्मक सोच के साथ दहेज के झूठे मुकदमों को रोकने मे अहम भूमिका निभा सकते है । हमारे समाज में थाली कटोरी गिलास लौटे बाल्टी को भी दहेज मान लिया जाता है। वकील साहिबान समझाइश से मामले को आगे बढ़ने से रोक सकते है। 6.8 जब बेटे बेटी विवाह के लायक हो जाए तो माँ को बेटी की बेस्ट फ्रेंड बनना चाहिए और पिताजी को बेटे का उनके दिल की सारी बात जाननी चाहिए कि हमारी बेटी या बेटा क्या चाहती/चाहता है उनके दिल में क्या चल रहा है...! ताकि हम उन पर कोई निर्णय थोपने से बच सके ..! ऐसा देखने भी आया हे की बेटे या बिटिया के दिलों दिमाग मे कुछ और है पर वो माता- पिता को कहने से डरती हे और परिवार के मान सम्मान के लिए विवाह तो कर लेती हे जो कुछ ही महिनों या वर्ष मे मतभेद शुरू हो जाते हे और बात संबंध विच्छेद के लिए झूठे मुकदमे का सहारा ले लेते हैं. 6.9 इसमें मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से परामर्श भी लिया जा सकता है।